Welcome to Sagar Narmadeshwar Shivling,
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ॐ नमः शिवाय 🙏
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Frequently Asked Questions
What is a Narmadeshwar Shivling?
नर्मदेश्वर शिवलिंग वह दिव्य शिवलिंग है जो नर्मदा नदी की तलहटी से प्राकृतिक रूप से प्राप्त होता है और शिव स्वरूप माना जाता है।
Why worship Narmadeshwar Shivling?
नर्मदेश्वर शिवलिंग वह दिव्य शिवलिंग है जो नर्मदा नदी की तलहटी से प्राकृतिक रूप से प्राप्त होता है और शिव स्वरूप माना जाता है।
Do I need to perform Pran Pratishtha?
कई भक्त नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा बिना प्राण प्रतिष्ठा के भी करते हैं, क्योंकि इसे स्वयं सिद्ध माना जाता है।
What sizes are available?
Available from thumb-sized (1 inch) to large temple-sized Shivlings (up to 3 feet).
Can I book online?
हमारी वेबसाइट पर डायरेक्ट बुकिंग नहीं होती। केवल WhatsApp/Call के माध्यम से ऑर्डर लिया जाता है।
What payment options are available?
Cash on Delivery (COD), UPI, और बैंक ट्रांसफर विकल्प उपलब्ध हैं।
Bakawan Village Details
ग्राहक हमारी श्रद्धा हैं, सेवा हमारा धर्म 
नमस्कार भक्तगण!
आपका बकावां गांव की आध्यात्मिक यात्रा पर स्वागत है, जहां भगवान शंकर के वास का अनुभव और नर्मदा नदी की पवित्रता से आप अभिभूत होंगे। यह गांव न केवल प्राकृतिक शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की गहराई में बसी आध्यात्मिकता और इतिहास भी हर भक्त के दिल को छू लेती है। आज हम आपको बकावां के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, ताकि आप महसूस कर सकें कि आप सीधे इस पवित्र स्थल पर यात्रा कर रहे हैं।
1. बकावां गांव का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
बकावां, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित एक अद्वितीय गांव है, जो नर्मदा नदी के किनारे बसे होने के कारण विशेष महत्व रखता है। इस गांव के हर कंकर और पत्थर में भगवान शंकर का वास है। नर्मदा नदी की पवित्र तली से निकले पत्थरों को तराशकर नर्मदेश्वर शिवलिंग का रूप दिया जाता है, जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी पूजा के लिए भेजे जाते हैं।
यहां के केवट समाज के लोग सदियों से नर्मदा के पत्थरों को छेनी-हथौड़े से तराशने का काम करते आ रहे हैं, और अब मशीनों की मदद से यह प्रक्रिया और भी सुगम हो चुकी है। बकावां के शिवलिंगों की अनूठी आकृतियों में ओम, स्वास्तिक, नाग, गणेश, शिव-पार्वती, और अर्धनारेश्वर रूप जैसी प्रतीकात्मक आकृतियाँ उकेरी जाती हैं।
2. नर्मदा नदी का आध्यात्मिक महत्व
नर्मदा नदी को भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इसे “जीवित नदी” और “माता” के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, नर्मदा नदी के कंकर-कंकर में भगवान शंकर निवास करते हैं। इसी कारण यहां के शिवलिंगों में दिव्यता और शक्ति का अनुभव होता है।
यह नदी न केवल शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि इसके तट पर बसे गांवों के लोग भी इसकी लहरों में शक्ति का अनुभव करते हैं। बकावां, जो नर्मदा के किनारे बसा है, यहां के लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है।
3. नर्मदेश्वर शिवलिंग – प्रकृति का अद्भुत आशीर्वाद
बकावां में बनने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग की विशेषता यह है कि ये शिवलिंग प्रकृति द्वारा स्वयं बनते हैं। नर्मदा नदी के तट पर पत्थरों का टकराना और घिसना, उन्हें स्वाभाविक रूप से शिवलिंग के आकार में ढाल देता है। फिर, इन शिवलिंगों को केवट समाज के लोग तराशकर और नक्काशी कर इसे सुंदर रूप में प्रस्तुत करते हैं।
शिवलिंग के आकार में विविधता पाई जाती है, जो एक से लेकर 25 फीट तक हो सकते हैं। बकावां गांव में यहां बने शिवलिंगों की मांग पूरी दुनिया में है और ये शुद्ध शिवलिंग लाखों रुपये में बिकते हैं।
4. बकावां में होने वाली पूजा और परंपराएँ
बकावां गांव में नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सदियों से चली आ रही है। इस गांव में बसे केवट समाज के लोग मानते हैं कि भगवान राम ने त्रेतायुग में उनके समाज पर कृपा की थी, और अब कलियुग में भगवान शिव की कृपा इस गांव पर बरस रही है। यहां के लोग पारंपरिक रूप से नर्मदा नदी के पत्थरों से शिवलिंग बनाकर पूजा करते हैं।
यहां के लोग बताते हैं कि शिवलिंग की पूजा बिना प्राण प्रतिष्ठा के भी होती है। यह दिखाता है कि नर्मदा से निकला हर कंकर अपने आप में एक पवित्रता और दिव्यता समेटे हुए है।
5. बकावां में बने शिवलिंग की विशिष्टताएँ
बकावां में बने शिवलिंगों में हर तरह की आकृतियाँ उकेरी जाती हैं, जैसे:
- ओम: इस प्रतीक से शिव की महिमा और ब्रह्म का दर्शन होता है।
- स्वास्तिक: शुभता और मंगलकारी तत्त्व का प्रतीक।
- नाग: शिवजी के साथ नगा का संबंध दर्शाता है।
- गणेश: विनायक रूप में शिव और गणेश की स्नेहपूर्ण नाता।
- अर्धनारीश्वर: शिव और पार्वती के एकात्मक रूप का संकेत।
- मस्तक पर तिलक: आशीर्वाद और पवित्रता की निशानी।
इन शिवलिंगों की अनूठी शिल्पकला और धार्मिक महत्व को देखते हुए यहां से शिवलिंगों की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बढ़ी है।
6. बकावां के शिल्पकार और उनका योगदान
यहां के शिल्पकार, जो ज्यादातर केवट समुदाय के लोग हैं, नर्मदा के पत्थरों को भगवान शिव के रूप में ढालने का काम करते हैं। वे अपनी कला को साधना मानते हैं और इसे पीढ़ियों से आगे बढ़ा रहे हैं।
बकावां गांव विश्व का एकमात्र गांव है, जहां नर्मदेश्वर शिवलिंग बनते हैं।
बकावां की यात्रा: एक दिव्य अनुभव
अगर आप बकावां गांव की यात्रा करने का सोच रहे हैं, तो यह एक अद्भुत अनुभव होगा। यहां के शांति से भरे वातावरण, नर्मदा के किनारे की सफाई, और यहां के लोगों की आस्था आपको एक नई ऊर्जा और शांति का अहसास कराएगी। इस गांव में आने से आपको न केवल नर्मदेश्वर शिवलिंग के अद्भुत रूपों को देखने का अवसर मिलेगा, बल्कि आप यहां की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का भी अनुभव करेंगे।
नर्मदेश्वर शिवलिंग और बकावां का भविष्य
बकावां गांव की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। यहां निर्मित नर्मदेश्वर शिवलिंग, जो अपनी अनोखी बनावट और आकार के लिए प्रसिद्ध हैं, विश्वभर में पूजे जाते हैं।
- वर्तमान स्थिति: आजकल बकावां के शिवलिंगों की डिमांड विदेशों से भी आ रही है, विशेष रूप से अमेरिका, यूरोप, और अन्य देशों से। इस मांग ने गांव के शिल्पकारों को नई पहचान दिलाई है।
- भविष्य की दिशा: बकावां में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। यहां के लोग न केवल अपने धार्मिक कार्यों में व्यस्त हैं, बल्कि वे स्थानीय पर्यटकों और श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करने के लिए विभिन्न धार्मिक आयोजनों और स्थलों पर ध्यान दे रहे हैं।
भक्ति और धर्म का प्रचार: भगवत कथा, श्रीराम कथा और नर्मदा पुराण
बकावां गांव की आध्यात्मिक यात्रा में भगवत कथा, श्रीराम कथा, और नर्मदा पुराण का विशेष महत्व है। गांव में समय-समय पर इन धार्मिक कथाओं का आयोजन किया जाता है, जहां भव्य रूप से श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और धार्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
- भगवत कथा: भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से परिचित कराने के लिए आयोजित की जाती है।
- श्रीराम कथा: राम के जीवन से जुड़ी शिक्षाएं और आदर्शों को प्रस्तुत करती है।
- नर्मदा पुराण: नर्मदा नदी की महिमा और उससे जुड़ी धार्मिक कथाओं को प्रस्तुत करता है, जो गांव के प्रत्येक निवासी के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कैसे पहुंचें बकावां?
- ट्रेन से: आप इंदौर और खंडवा तक ट्रेन से आ सकते हैं और फिर वहां से कार या बस से बकावां तक पहुंच सकते हैं।
- कार या बस से: बकावां के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। आप इंदौर, खंडवा, खरगोन या ओंकारेश्वर से बस के माध्यम से बकावां पहुंच सकते हैं।
निकटवर्ती प्रसिद्ध स्थल:
- माता अहिल्या की नगरी (महेश्वर):
बकावां गांव के पास स्थित महेश्वर, अहिल्या बाई होलकर की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। महेश्वर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। यहां स्थित किलें और मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल हैं। - बाजी राव पेशवा की समाधि स्थल (रावेर खेड़ी ):
बकावां से नजदीक रावेर खेड़ी में बाजीराव पेशवा की समाधि स्थल स्थित है, जो इतिहास और संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल में से एक है। - ओंकारेश्वर (35 किमी):
बकावां से लगभग 35 किमी की दूरी पर स्थित ओंकारेश्वर, भगवान शिव के अर्धरूप ओंकारेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर है। यह जगह भी श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। - इंदौर (110 किमी) और खण्डवा(100 किमी):
बकावां गांव इंदौर और खण्डवा से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इंदौर, जो मध्यप्रदेश का एक प्रमुख शहर है, बकावां से लगभग 110 किमी की दूरी पर स्थित है। वहीं, खण्डवा जो नर्मदा नदी के पास स्थित है, बकावां से लगभग 100 किमी की दूरी पर है।
घर बैठे बकावां नगरी और माँ नर्मदा के साक्षात दर्शन 
अब आपको बकावां आने की ज़रूरत नहीं! हम आपको घर बैठे वही अनुभव देंगे, जैसा बकावां जाकर माँ नर्मदा और नर्मदेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने पर होता है।
घर बैठे बकावां का दिव्य अनुभव कैसे मिलेगा?
बकावां की पवित्र गलियों के दर्शन
गाँव की प्राचीन गलियाँ, मंदिर, और नर्मदा किनारे का अनुभव बिल्कुल वैसे ही जैसे आप खुद वहाँ घूम रहे हों।
माँ नर्मदा के साक्षात दर्शन और आरती
नर्मदा नदी का बहता जल, माँ नर्मदा की आरती, और भक्तों की श्रद्धा आपको घर बैठे अनुभव करवाई जाएगी।
गाँव के राम मंदिर और नर्मदा ट्रस्ट के दर्शन
गाँव के ऐतिहासिक राम मंदिर और नर्मदा ट्रस्ट का लाइव दौरा करवाएँगे, जहाँ आप देखेंगे कि कैसे यह स्थान भक्तों की आस्था का केंद्र है।
शिवलिंग निर्माण स्थल का लाइव टूर
कैसे माँ नर्मदा से लाए गए पवित्र पत्थरों को नर्मदेश्वर शिवलिंग का रूप दिया जाता है? पूरी प्रक्रिया लाइव दिखाएँगे!
मजदूरों की मेहनत और कला का दर्शन
गाँव के कुशल कारीगरों की मेहनत से शिवलिंग कैसे आकार लेता है? देखिए और महसूस कीजिए कि कैसे हर शिवलिंग शुद्ध भक्ति और सेवा भाव से तैयार होता है।
गौशाला के दर्शन और गौ सेवा का अनुभव
गौशाला में पवित्र गायों के दर्शन, सेवा और चारा खिलाने का अनुभव मिलेगा, जिससे आपको बकावां की आध्यात्मिकता का साक्षात अनुभव होगा।
शिवलिंग चयन करने का अनोखा अवसर
वीडियो कॉल के ज़रिए अलग-अलग शिवलिंग देखिए, उनके आकार, रंग, और ऊर्जा को महसूस कीजिए, और अपनी श्रद्धा अनुसार स्वयं चुनिए।
पैकिंग और डिलीवरी प्रक्रिया का भरोसा
हम आपको लाइव दिखाएँगे कि शिवलिंग कैसे सुरक्षित पैक किया जाता है, ताकि आप निश्चिंत रहें कि यह सही सलामत आपके घर तक पहुँचेगा।
फ्री डिलीवरी सेवा
शिवलिंग का चयन करने के बाद, हम इसे निःशुल्क आपके द्वार तक पहुँचाएँगे, ताकि आपको बिना किसी परेशानी के भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सके।
घर बैठे यह अनुभव कैसे प्राप्त करें?
व्हाट्सएप या वीडियो कॉल पर जुड़ें।
सबसे पहले माँ नर्मदा, राम मंदिर, गौशाला और शिवलिंग निर्माण स्थल के दर्शन करें।
शिवलिंग देखें और अपनी श्रद्धा अनुसार चुनें।
हमारी सुरक्षित पैकिंग और डिलीवरी प्रक्रिया को लाइव देखें।
शिवलिंग आपके द्वार तक पहुंचेगा – बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के!
यह अनुभव आपको क्या देगा?
ऐसा लगेगा जैसे आप स्वयं बकावां में उपस्थित हैं और माँ नर्मदा के दर्शन कर रहे हैं।
शिवलिंग की उत्पत्ति, निर्माण, और इसकी पवित्रता का पूरा विश्वास मिलेगा।
घर बैठे माँ नर्मदा की कृपा और शिवलिंग प्राप्त करने का दिव्य अनुभव होगा।
आपको अपने मनपसंद शिवलिंग को चुनने और लाइव देखने का सौभाग्य मिलेगा।
बिना यात्रा किए, बकावां का पूरा आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होगा।
अंतिम संदेश
“हमारा उद्देश्य सिर्फ शिवलिंग बेचना नहीं, बल्कि आपको भगवान शिव और माँ नर्मदा का सच्चा अनुभव देना है। इस आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनें और घर बैठे बकावां नगरी का दिव्य अनुभव प्राप्त करें।”
Shop Location & Contact
Location: Bakawan, Barwah, Khargone District, Madhya Pradesh, India.
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